Shodashi Secrets

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कामपूर्णजकाराख्यसुपीठान्तर्न्निवासिनीम् ।

षट्कोणान्तःस्थितां वन्दे देवीं त्रिपुरसुन्दरीम् ॥६॥

॥ इति श्रीत्रिपुरसुन्दरीस्तोत्रं सम्पूर्णम् ॥

साम्राज्ञी चक्रराज्ञी प्रदिशतु कुशलं मह्यमोङ्काररूपा ॥१५॥

When Lord Shiva listened to concerning the demise of his wife, he couldn’t Command his anger, and he beheaded Sati’s father. Nevertheless, when his anger was assuaged, he revived Daksha’s everyday living and bestowed him by using a goat’s head.

This mantra retains the ability to elevate the thoughts, purify ideas, and join devotees for their larger selves. Here i will discuss the extensive great things about chanting the Mahavidya Shodashi Mantra.

ह्रीङ्काराम्भोजभृङ्गी हयमुखविनुता हानिवृद्ध्यादिहीना

सा नित्यं नादरूपा त्रिभुवनजननी मोदमाविष्करोतु ॥२॥

This Sadhna evokes innumerable strengths for all spherical economic prosperity and balance. Growth of business, title here and fame, blesses with prolonged and prosperous married daily life (Shodashi Mahavidya). The outcome are realised immediately following the accomplishment on the Sadhna.

षोडशी महाविद्या : पढ़िये त्रिपुरसुंदरी स्तोत्र संस्कृत में – shodashi stotram

चक्रे बाह्य-दशारके विलसितं देव्या पूर-श्र्याख्यया

यामेवानेकरूपां प्रतिदिनमवनौ संश्रयन्ते विधिज्ञाः

इसके अलावा त्रिपुरसुंदरी देवी अपने नाना रूपों में भारत के विभिन्न प्रान्तों में पूजी जाती हैं। वाराणसी में राज-राजेश्वरी मंदिर विद्यमान हैं, जहाँ देवी राज राजेश्वरी(तीनों लोकों की रानी) के रूप में पूजी जाती हैं। कामाक्षी स्वरूप में देवी तमिलनाडु के कांचीपुरम में पूजी जाती हैं। मीनाक्षी स्वरूप में देवी का विशाल भव्य मंदिर तमिलनाडु के मदुरै में हैं। बंगाल के हुगली जिले में बाँसबेरिया नामक स्थान में देवी हंशेश्वरी षोडशी (षोडशी महाविद्या) नाम से पूजित हैं।

यहां पढ़ें त्रिपुरसुन्दरी हृदय स्तोत्र संस्कृत में – tripura sundari hriday stotram

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